संपूर्ण चैतन्य लीला | श्रील गौर कृष्ण दास गोस्वामी | 04. चैतन्य-चरितामृत (आदि 5, 7, 9) | नित्यानंद और अद्वैत तत्त्व तथा प्रेम के फल का वितरण
Update: 2024-12-04
Description
श्री चैतन्य महाप्रभु के अवतरण में उनके दो महान सहयोगियों, नित्यानंद प्रभु और अद्वैत आचार्य, की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदि लीला के इन अध्यायों में इन दिव्य व्यक्तित्वों के तत्त्व और उनके द्वारा प्रेम-भक्ति के प्रचार का विस्तृत वर्णन किया गया है।
महाप्रभु ने केवल हरिनाम का प्रचार नहीं किया, बल्कि उन्होंने प्रेम के दिव्य फल को सभी जीवों में वितरित किया। यह प्रेम का फल अद्वितीय है और इसे प्राप्त करने से जीव भगवद्-साक्षात्कार की अवस्था में पहुँचता है।
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